शनिवार, 9 मार्च 2024

बबाल वाले बबालों से निकाले गये

 


बबाल वाले बबालों से निकाले गये,

बिगैर जबाब सवालों से निकाले गये।


धर पकड़ तक आशा थी कुछ होने की 

पकड़े जाने पर कारागारों से निकाले गये।


उदघाटन में शामिल सभी कंगूरे छपा लिए गये,

नीव पर बैठे किताबों से निकाले गए।


जमाना खेलता रहा जब तक थी हवा 

हवा निकली कि कबाड़खानो से निकाले गए ।


बटुवे के बजन तक सुमिरन में था अडिग 

बटुवा खाली हुआ कि ख्वाबों से निकाले गए।


©® बलबीर सिंह राणा 'अडिग'

ग्वाड़ मटई बैरासकुण्ड, चमोली

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