विकास होगा तो
सुनिश्चित हत्यायें होंगी
किसी पहाड़ की, पेड़ पदपों व
इन पर आश्रित जंतुओं की
साथ में पूरे पारिस्थिकीय तंत्र की।
किसी पहाड़ की, पेड़ पदपों व
इन पर आश्रित जंतुओं की
साथ में पूरे पारिस्थिकीय तंत्र की।
विकास होगा तो
संयम, धैर्य, सहनशीलता
बहुत अच्छी हालात से मरेंगे, और
द्रुतमार्ग पर द्रुत गति से भागेगा
दम्भ, औंछापन व हवाई प्रतिष्ठा।
विकास होगा तो
रुग्ण होती जाएगी
पारिवारिक समरसता
अपनापन, पारिवारिक व सामाजिक मूल्य
और, स्वस्थ-मस्त अट्टाहास करेगा
एकला-अकेला, नैराश्य एकाकीपन।
रुग्ण होती जाएगी
पारिवारिक समरसता
अपनापन, पारिवारिक व सामाजिक मूल्य
और, स्वस्थ-मस्त अट्टाहास करेगा
एकला-अकेला, नैराश्य एकाकीपन।
विकास होगा तो
निर्ममता से कुचली जाएगी
रीति-रीवाज, संस्कृति
खुशियों के नाम पर नाचेगी
वेहुदी नंगी उन्मुक्तता।
विकास होगा तो
वह सब अप्रत्याशित होगा,
कृत्रिम बुद्धिमत्ता आ गई
कृत्रिम आदमी आ गया
अब कृत्रिम जीवन भी आएगा
यकीनन आएगा।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
17 Nov, 25

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