बुधवार, 17 सितंबर 2025

योगा संग दोहा



दिवाकर संग पथ गहे, स्वीकारें तप्त धूप।
जागृत हो कर्म साधना, मिटे हिय अंध कूप।।
 
कर्म संधान लक्ष्य पहुँचे, फिर बजे विजय शंख।
सार्थक हो काज तेरे, सकल लगाए अंक।।
@ बलबीर राणा 'अडिग' 

https://youtu.be/AOu69Pvab_g?si=t9kCSD4i8eZX3m-E  

5 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत बढ़िया

Anita ने कहा…

तत्प या तप्त धूप, सुंदर दोहे

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

aabhar mahodya sahi pade , naman

बेनामी ने कहा…

गुरूजी आभार